“वेलु नचियार ‘वीरमंगाई’: एक अजेय योद्धा” एक प्रेरणादायक ऐतिहासिक उपन्यास है, जो तमिलनाडु की शक्तिशाली रानी वेलु नचियार के जीवन पर आधारित है। यह पुस्तक डॉ. मीता सिन्हा द्वारा लिखी गई है और इसमें कुल 183 पृष्ठ हैं, जो 20 अध्यायों में विभाजित हैं। डॉ. मीता सिन्हा द्वारा लिखित यह पुस्तक एक साहसी रानी की कहानी को उजागर करती है, जिसने अपने समय में साहस और संघर्ष का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
कहानी की शुरुआत रानी वेलु के पति, राजा मुथु वाडुगनाथ देव के हत्या के साथ होती है, जब ब्रिटिश सेना और अर्कोट के नवाब ने उन पर हमला किया। इस दुखद घटना के बाद, वेलु को भागना पड़ता है, लेकिन वे हार नहीं मानती। आठ वर्षों तक, वे अपनी सेना को पुनर्गठित करती हैं और अंततः शिवगंगा के किले को पुनः प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश और नवाब की सेना पर हमला करती हैं। उनका साहस और रणनीतिक कौशल अद्भुत है, और लोगों ने उन्हें ‘वीरमंगाई’ का उपनाम दिया, जिसका अर्थ है ‘बहादुर महिला’।
डॉ. सिन्हा ने 18वीं सदी के भारतीय समाज और राजनीति की पृष्ठभूमि को बखूबी चित्रित किया है, जिससे वेलु की यात्रा अधिक रोचक और प्रभावशाली बन जाती है। उनकी लेखनी में गहराई और संवेदनशीलता है, जो पाठकों को वेलु के संघर्षों और विजय की कहानी से जोड़ती है।
यह पुस्तक न केवल एक ऐतिहासिक कहानी है, बल्कि आज की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा भी है। यह दर्शाती है कि महिलाओं में अद्वितीय शक्ति और साहस होता है, और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। वेलु नचियार की कहानी एक सशक्त संदेश देती है कि किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।
अंततः, “वेलु नचियार ‘वीरमंगाई’: एक अजेय योद्धा” हर पाठक के लिए एक अनिवार्य पढ़ाई है, जो न केवल ऐतिहासिक उपन्यासों में रुचि रखते हैं, बल्कि महिलाओं के संघर्षों और विजय की कहानियों में भी रुचि रखते हैं। डॉ. मीता सिन्हा ने इस अद्भुत रानी की कहानी को जीवंत किया है, और यह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।