July 6, 2025

विषय वस्‍तु –

      मेरे द्वारा लिखित यह लेख मेरे मन से निकले विचारों पर आधारित है। अपने विचारों पर अध्‍ययन कर इस लेख को लिखने के लिए मैं प्रोत्‍साहित हुआ और अपने मन के विचारों को लिखित रूप में यर्थाथ रूप से समझाने की कोशिश की है।

      यह लेख एक विचारणीय, रोचक व ज्ञानवर्धक है। जो एक विश्‍वव्‍यापी महामारी एच०आई०वी० के संक्रमण के  इलाज में मार्गदर्शक व सहायक सिद्ध हो सकता है।

विचार

      एक दिन मेरे मन में विचार आया कि इतने लम्‍बे समय से HIV (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण का इलाज क्‍यों नहीं मिल पा रहा है। तो मैंने इस पर अध्‍ययन करना शुरू कर दिया और मुझे पता चला कि मादा मच्‍छर जो मानव शरीर का रक्‍त अपने अण्‍डों को विकसित करने के लिए आवश्‍यक प्रोटीन की पूर्ति के लिए चूसती है। वह HIV संक्रमण को नहीं फैलाती है।

      अर्थात मादा मच्‍छर HIV Positive मानव शरीर से HIV Negative मानव शरीर को HIV संक्रमण स्‍थानान्‍तरित नहीं करती है। इस कारण को जानने के लिए मैं इसके अध्‍ययन में लग गया।

परिकल्‍पना-

      अपने विचार के आधार पर मैने खुद से बहुत से सवाल किए और मैं सोचता रहा कि मानव शरीर का रक्‍त सहज रूप से मुख्‍यत: मादा मच्‍छर आदि चूसते हैं और ये रक्‍त को चूसकर HIV संक्रमण को एक मानव शरीर से दूसरे मानव शरीर को स्‍थानान्‍तरित नहीं करते हैं।

      इस विषय में बहुत से वैज्ञानिकों ने बहुत से कारण बताये जो मुझे संतुष्‍ट नहीं कर पायें। जैसे –

कारण नं०- 1

      मैं मानता हूँ कि जब एक HIV रक्‍त संक्रमित सीरिंज या सूंई दूसरे स्‍वस्‍थ मानव को संक्रमित कर सकती है तो मच्‍छर संक्रमित क्‍यों नहीं करता ?

  • जवाब यह दिया जाता है कि मच्‍छर के पास इतनी मात्रा में खून नहीं होता, जिससे वह HIV संक्रमण को फैला सके।
  • जबकि सत्‍य यह है कि मच्‍छर के पास संक्रमित सुई की अपेक्षा कहीं अधिक मात्रा में रक्‍त होता है।

कारण नं० – 2

       मच्‍छर के पास टी-सैल नहीं होती और मच्‍छर HIV का पाचन कर लेता है।

       कल्‍पना कीजिए कि जब मच्‍छर एच०आई०वी० पॉजिटीव ब्‍लड को चूसकर कुछ ही सैकेण्‍डों में ही स्‍वस्‍थ मानव शरीर पर बैठकर एच०आई०वी० नेगेटिव का रक्‍त पी रहा होता है तो उसी वक्‍त अचानक से तुरन्‍त उसे मानव शरीर पर चोटकर उसी स्‍थान पर मार दिया जाये। तो एच०आई०वी० पॉजिटीव ब्‍लड जो उसके पेट में कुछ क्षणों पहले ही इकट्ठा हुआ था। जिसका अभी पाचन भी नहीं हुआ होता है और जो नंगी आँखों से भी उसके पेट में स्‍पष्‍ट दिखाई देता है और वह लगभग 1 बूंद की मात्रा तक पर्याप्‍त मात्रा में भी होता है। एच०आई०वी० नेगेटिव ब्‍लड से मिल जाता है, तो भी एच०आई०वी० नेगेटिव बॉडी, एच०आई०वी० पॉजिटीव नहीं हो पाती है।

       अब बहुत से वैज्ञानिक यह कहते हैं कि मच्‍छर ब्‍लड को Suck (चूसता) करता है न कि इंजेक्‍ट करता है इसके बारे में मेरा यह विचार है कि जब मच्‍छर एच०आई०वी० नेगेटिव ब्‍लड चूस रहा होता है तो उसी वक्‍त तुरन्‍त उसी स्‍थान पर यदि मच्‍छर को मार दिया जाता है तो एच०आई०वी० नेगेटिव ब्‍लड से मिक्‍स हो जाता है और मच्‍छर उसी स्‍थान पर मर भी जाता है लेकिन नेगेटिव एच०आई०वी० बॉडी पॉजिटीव बॉडी में नहीं बदलती।

       चलो मान लेते है कि उपरोक्‍त कथन से ब्‍लड मिक्‍स नहीं होता। तो फिर मच्‍छर के पेट में इकट्ठा अपचित ताजा ब्‍लड (एच०आई०वी० पॉजिटीव) जो कुछ ही सेकिण्‍डों में एच०आई०वी० बॉडी से चूसा हुआ होता है, मच्‍छर के पेट को चुटकी से फोड़कर एच०आई०वी० बॉडी नेगिटिव बॉडी के किसी घाव पर डाल देने पर भी एच०आई०वी० नेगेटिव बॉडी, पॉजिटीव बॉडी में नहीं बदलती है। आज तक कोई भी इस तरह का केस (कारण) सुनने या पढ़ने में नहीं आया, जो इस प्रक्रिया से एच०आई०वी० संक्रमण फैला हो।

कारण नं० – 3

       तीसरा जो सबसे मुख्‍य कारण है जो मेरे विचार (लेख) को मजबूती प्रदान करता है यह है :-

       आपने कभी भी मच्छर को ऑपन ब्‍लड (खुला रक्‍त) या बिखरा ब्‍लड (स्‍वतंत्र रक्‍त) या किसी मानव शरीर के घाव पर से ब्‍लड को चूसता हुआ नहीं देखा होगा। ऐसा क्‍यों?

       क्‍योंकि मच्‍छर को मालूम होता है कि इस प्रकार का रक्‍त संक्रमित हो सकता है। जिसे वह विभिन्‍न मानव शरीर आदि में संचारित कर सकता हैं जिसके कारण शरीर व वह स्‍वयं भी संक्रमित हो सकता है। लेकिन कुदरत (गॉड) ने मच्‍छर को इस प्रकार के रक्‍त को पहचानने की क्षमता, गिफ्ट में दी है और मच्‍छर इस प्रकार के रक्‍त को चूसने से बचता है।

       मच्‍छर शरीर से ही रक्‍त इसलिए ग्रहण करता है क्‍योंकि शरीर उसे रक्‍त को शुद्ध (वायरस, बैक्‍टीरिया आदि से) करने के बाद देती है।

             इस संरचना के आधार पर हमने समझाने की कोशिश की है कि कोशिश की है कि किस कारण मच्‍छर मानव शरीर में HIV-1 का ट्रांसफर नहीं होता।

     मैं अपनी कल्‍पना के आधार पर अध्‍ययन करता रहा और मच्‍छर के बारे में गहराई से खोज करता रहा। अंत में मेरी कल्‍पना को आधार मिला –

मच्‍छर के काटने पर Immuni System W.B.C. (प्रतिरक्षा प्रणाली) की प्रतिक्रिया –

मादा मच्‍छर अपने अण्‍डों को विकसित करने के लिए आवश्‍यक प्रोटीन प्राप्‍त करने के लिए जब मानव शरीर को काटती हैं तो वह अपनी लार के साथ खून पतला करने के लिए एक एंटी क्‍लूएंट रसायन बॉडी में इंजेक्‍ट करती है। जिसे हिपेरिंग कहते है। यह रसायन थ्रोम्बिन की क्रिया को रोककर ब्‍लड को हवा के सम्‍पर्क में आने पर जमने से रोकता है। और ब्‍लड को पतला करता है, न कि क्षारीय करता है, यानि के ब्‍लड को उसके पार्टस में नहीं तोड़ता है, अर्थात ब्‍लड के बेसिक गुणों को नहीं बदलता है।

इस क्रिया से मच्‍छर को ब्‍लड पीने में आसानी होती है।

इस क्रिया के विपरीत मानव बॉडी की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया करती है और हमारा शरीर इस इंजेक्‍ट पदार्थ को एलर्जन (एंटीजन) के रूप में पंजीकृत (रजिस्‍टर्ड) करता है।

इम्‍यूनी सिस्‍टम इस एंटीजन के विपरीत या इसे हटाने के लिए या मारने के लिए W.B.C. की Basofils और Mast Cells (मस्‍तूल कोशिकाएँ) हिपेरिन, सिरोटोनिन व हिस्‍टामाईन नामक तीन रसायन (हार्मोन) स्‍त्रावित करती हैं और उस स्‍थान पर एंटीजन के विपरीत कार्य करती हैं। जिससे उस स्‍थान पर ब्‍लड में किसी भी तरह ( वायरस, बैक्‍टीरिया आदि) के संक्रमण को खत्‍म करती है और ब्‍लड शुद्ध हो जाता है जिसे चूसकर मच्‍छर उड जाता है।

जिससे इन रसायनों या हार्मोन्‍स के कारण काटे गये स्‍थान पर खुजली, जलन, झुनझुनाहट व सूजन आदि एलर्जी होती है।

नोट- जिस प्रकार शुगर के मरीज को बाहर से इन्‍सुलिन (पेन्क्रियाज से स्‍त्रावित होने वाला हार्मोन्‍स या रसायन) दिया जाता हैं उसी प्रकार एच०आई०वी० मरीज को यदि निर्धारित मात्रा, समय आदि की सावधानियाँ रखते हुए उपरोक्‍त रसायन दिये जाये तो एच०आई०वी० मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

अध्‍ययन के अनुसार एच०आई०वी० संक्रमण को रोकने में उपरोक्‍त तीनों रसायनों का विशेष प्रभाव –

  1. HIV Receptor पर प्रभाव

हेपरिन, सेरोटोनिन और हिस्‍टामिन को समन्वित रूप से संयोजित कर एच०आई०वी० संक्रमण को लक्षित किया जा सकता है। इस संरचना में, हेपरिन विशेष रूप से वायरल ग्‍लाइकोप्रोटीन जीपी-120 से बंधता है, सेरोटोनिन जीपी -41 के झिल्‍ली संलयन के लिए आवश्‍यक संरचनात्‍मक परिवर्तनों में हस्‍तक्षेप करता है, और हिस्‍टामिन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को संशोधित करता है ताकि वायरस की अधिक प्रभावी सफाई हो सके। एक अभिनव निर्माण विधि यह सुनिश्चित करती है कि सक्रिय संघटक नियंत्रित परिस्थितियों में संयोजित किये जाये, जिसके परिणामस्‍वरूप एक स्थिर, समान उत्‍पाद तैयार होता है।

  • MHC-1 पर प्रभाव

मेजर हिस्‍टोकॉम्‍पेटिबिलिटी कॉम्‍पलेक्‍स एक प्रोटीन होता है जिस पर हमारे रसायनों का प्रभाव यह है कि एम०एच०सी०-1 के प्रभाव को प्रभावित कर उसको बढ़ाता है। जिसके कारण डब्‍लूबीसी की माइक्रोफेज, डेंड्रोटिक सैल, नेचर किलर सैल (एन०के०) आदि को संक्रमित सैल की पहचान कराकर उसे मारने में सहायक होता है।

  • NEF पर प्रभाव

NEF एक वायरल प्रोटीन है जो मानव इम्‍यूनोडेफिशिएंसी वायरस में पाया जाता है। यह एडस के रोगजनन में अहम भूमिका निभाता है। हमारे रसायन इसके प्रभाव को कम करते हैं।

  • MPER (Membrane Proximal External Region) पर प्रभाव हमारे रसायन या हार्मोन्‍स MPER की Fluidity Change करके MPER को सपरेस या डिएक्टिव कर देते है जिसके कारण बॉडी की एंटीबॉडिज एच०आई०वी० को निष्क्रिय या मार देती है।

निष्‍कर्ष

      इस रिसर्च में बताया गया है कि किस प्रकार हमारे रासायनिक Combination (हिपेरिन + सिरोटोनिन + हिस्‍टामाईन) HIV-1 के GP-120, GP-41, MPER, MHC-1, NEF, CCR-5, CXCR-4, तीनों एन्‍जाइम्‍स (आर०टी०, इन्‍टीग्रेज, प्रोटीएज) व HIV के 9 जीन्‍स (gag, pol, env, rev, nef, vif, vpr, vpu/vpx) आदि को किस प्रकार प्रभावित या डिप्रेस या ब्‍लॉक करता है।

उपरोक्‍त लेख से यह स्‍पष्‍ट होता है कि यदि मानव शरीर की प्रतिरक्षक प्रणाली रक्‍त को हिपेरिन + सिरोटोनिन + हिस्‍टामाईन से रक्‍त को शुद्ध करने के पश्‍चात मच्‍छर को एच०आई०वी० निगेटिव ब्‍लड प्रदान करती है जिसके कारण यह एच०आई०वी० संक्रमण को नहीं फैला पाता

उपरोक्‍त कथन के आधार पर विभिन्‍न प्रयोगशालाओं आदि में अध्‍ययन कर एच०आई०वी० जैसी बड़ी महामारी से निजान पाने में सहायता मिल सकती है।

विशेषता-

      मेरे लेख और अन्‍य लेखों में विशेष तथ्‍य यह है कि अन्‍य लेखों के माध्‍यम से सिर्फ एक रसायन से इसका इलाज करने की कोशिश की गयी।

      जबकि इनसे अलग मेरे पास एक विशेष बेसिक थ्‍योरी मादा मच्‍छर के ऊपर निर्धारित है जिसमें उपरोक्‍त वर्णित तीनों रसायनों का कॉम्बिनेशन है। इन तीनों रसायनों के कॉम्बिनेशन के आधार पर एच०आई०वी० का पूर्ण रूप से इलाज हो सकता है। क्‍योंकि इस कॉम्बिनेशन से GP-41, GP-120 & MPER आदि को निष्क्रिय करने के साथ-साथ संक्रमित कोशिकाओं में NAF Factor को कमजोर कर व MHC-1 को अधिक सक्रिय कर संक्रमित कोशिकाओं की Killing Cells (Macrophase, Dendritic, N.K. Niyotrifil) आदि से Kill कर मानव शरीर को एच०आई०वी० के संक्रमण से बचाया जा सकता है।

Anti HIV Theory By Female Mosquito.

SUMMARY- उपरोक्‍त वैचारिक अध्‍ययन में बताया गया है कि किस प्रकार एक मच्‍छर के मानव बॉडी को काटने के दौरान इंजेक्‍ट हेपरिन रसायन के कारण WBC के द्वारा स्रावित हार्मोन्‍स या रसायन हेपरिन, सेरोटोनिन व हिस्‍टामाइन का कॉम्बिनेशन, हृयूमन बॉडी के एचआईवी पॉजिटिव रक्‍त के साथ क्रिया प्रतिक्रिया कर रक्‍त्‍ को एचआईवी नेगेटि‍व में बदलकर मच्‍छर को उपहार स्‍वरूप शुद्ध रक्‍त प्रदान किया जाता है जिससे मच्‍छर एचआईवी के संक्रमण को स्‍थानांतरित नहीं करती है।

      उपरोक्‍त थ्‍योरी के माध्‍यम से यह संदेश दिया गया है कि यदि इन तीनों रसायनों हेपरिन, सेरोटोनिन व HISTAMINE का कांबिनेशन एचआईवी के रिसेप्‍टर GP-41, GP-120, MPER, MHC-1, NEF पर और WBC के रिसेप्‍टर CCR-5, CXCR-4, CD-4, तीनों एंजाइमस (आर०टी०, इन्‍टीग्रेज, प्रोटीएज) व HIV के 9 जीन्‍स (gag, pol, env, tat, rev, nef, vif, vpr, vpu/vpx) आदि पर प्रभावों का विभिन्‍न रूपों में अध्‍ययन और प्रयोग किए जाएं और साथ ही साथ एचआईवी से संक्रमित WBC कोशिकाओं के NEF व MHC-1 आदि पर इन रसायनों की क्रियाशीलता को ध्‍यान में रखकर एचआईवी के इलाज पर कार्य किया जाए तो इस विश्‍वव्‍यापी लाइलाज महामारी एचआईवी का एक निश्चित, सरल व सस्‍ता इलाज मिल सकता है। जिसके फलस्‍वरूप एचआईवी इलाज के लिए वैक्‍सीन तैयार की जा सकती है।

अमित कुमार
कमला नगर, गुराना रोड़ बड़ौत- 250611
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3 thoughts on “एक मच्‍छर आदमी को Scientist बना देता है।

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